शनिवार व्रत कथा एवंम विधि:,
यह पूजा और व्रत शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु होता है।
शनिवार व्रत के नियम,
- इस दिन शनि की पूजा होती है|
- काला तिल, काला वस्त्र, तेल, काली उड़द शनि देव को अत्यंत प्रिय है। इनसे ही पूजा होती है|
- शनि की दशा को दूर करने के लिए यह व्रत किया जाता है|
- शनि सत्रोत का पाठ भी विशेष लाभदायक सिद्ध होता है|
- सूर्योदय से पहले उठें. अगर नहीं उठते हैं तो सुबह ही स्नान करें. तांबे के कलश में जल लें. इसमें शक्कर और दूध मिलाकर पश्चिम दिशा में मुंह कर पीपल के पेड़ को अर्घ्य दें ।
- व्रत वाले दिन दिन नीली, बैंगनी तथा काले रंग के कपड़े पहनें. दिन में व्रत रखें. इस व्रत में दिन में नमक नहीं खाया जाता ।
- दिन में दान करें. काली चीजों का दान श्रेष्ठ है. मछलियों को दाना खिलाएं. गरीबों की सेवा करें, उन्हें खाना खिलाएं ।
- दिन में आकाश मंडल की ओर देखें. शनि मंत्रों का जाप करें ।
- शनिदेव से पीड़ित हैं तो सबसे बेहतर उपाय है कि भगवान शिव का पूजन करें. शनिदेव भगवान शिव को गुरु मानते हैं ।
- हनुमान जी की पूजा करें. उनके सामने सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं ।
शमी का पौधा अपने हाथों से लगाएं. उसका पूजन करें । - व्रत कर रहे हैं तो शारीरिक संबंध ना बनाएं ।
- यथाशक्ति गरीबों की सेवा करें ।
- हनुमान जी की पूजा करें. बंदरों को गुड़-चना खिलाएं।
शनि देव का स्त्रोत पाठ करें. शनिस्त्रोत
शनिवार का व्रत यूं तो आप वर्ष के किसी भी शनिवार के दिन शुरू कर सकते हैं परंतु श्रावण मास में शनिवार का व्रत प्रारम्भ करना अति मंगलकारी है। इस व्रत का पालन करने वाले को शनिवार के दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके शनिदेव की प्रतिमा की विधि सहित पूजन करनी चाहिए। शनि भक्तों को इस दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को नीले लाजवन्ती का फूल, तिल, तेल, गुड़ अर्पण करना चाहिए।