20733 Views 18 Jan, 2021 PDF

बुधवार व्रत विधि, बुधवार व्रत विधि विधान

बुधवार व्रत विधि, बुधवार व्रत विधि विधान

बुधवार व्रत कि इस विधि से करें पूजा व्रत होगा सफल, गणेश भगवान होंगे प्रसन्न - Wednesday Fast Method

बुधवार व्रत विधि, बुधवार व्रत विधि विधान, बुधवार व्रत कथा, बुधवार व्रत की आरती, बुधवार व्रत कैसे करें, बुधवार व्रत फल, बुधवार व्रत में क्या खाना चाहिए, गणेश पूजा कैसे करें, गणेश जी की आरती, बुधवार व्रत उद्यापन विधि, बुधवार के दिन क्या करें क्या न करें?

बुधवार व्रत विधि विधान
हिंदू धर्म के अनुसार, बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. भगवान गणेश के अलावा इस दिन बुध ग्रह की शांति के लिए भी व्रत रखा जा सकता है. आप चाहें तो सिर्फ भगवान गणेश या बुध देव या दोनों के लिए साथ में व्रत कर सकते हैं. इस दिन व्रत रखने से बुद्धि बढ़ती है, व्यापार में वृद्धि होती है, धन की कमी नहीं होती और घर में कलह-क्लेश नहीं होता. कहते हैं कि अगर किसी का धन कहीं रुका हो यानि किसी से अपने पैसे लेने हो और वो मिल न रहे हो तो उसको बुधवार का व्रत करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा करने व व्रत रखने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. तो आइए जानें बुधवार का व्रत कब से और कैसे शुरू करें, बुधवार व्रत पूजन विधि, कथा व आरती आदि के बारे में संपूर्ण जानकारी |

कब से शुरू करें बुधवार व्रत
किसी भी साप्ताहिक व्रत की शुरुआत हमेशा शुक्ल पक्ष यानि चांदनी रातों में ही की जानी चाहिए। बुधवार व्रत की शुरुआत भी शुक्ल पक्ष से करते हैं. शुक्ल पक्ष यानी अमावस निकल जाने के बाद जो भी पहला बुधवार आए उस दिन से आप व्रत की शुरुआत कर सकते हैं. बुधवार व्रत की संख्या 21 या 45 होनी चाहिए.

बुधवार व्रत का महत्व 
बुध ग्रह की शांति के लिए यह इस व्रत का विशेष महत्व हैं. यदि आपके घर में धन नहीं रुक रहा है, आए दिन क्लेश हो रहा है, तो बुधवार व्रत करने से आपको काफी लाभ होगा क्योंकि यह व्रत करने से बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव दूर होने के साथ ही साथ मन की शांति बनी रहती है. इस व्रत से विद्या एवं व्यापारिक उन्नति व स्वास्थ्य लाभ होता है. बुधवार का व्रत जो भी रखता हैं उसका जीवन सुख – शांति और धन- धान्य से भर जाता है। इसके अलावा भगवान गणेश अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

बुधवार व्रत शुरू करने से पहले ऐसे लें संकल्प
बुधवार व्रत की शुरुआत करने से पहले व्रती को संकल्प लेना चाहिए. संकल्प के लिए पहले बुधवार व्रत के दिन एक नारियल मंगाए. (ध्यान रखें सिर्फ पहले बुधवार के दिन ही आपको नारियल मंगाना है, इसके बाद के बुधवार व्रत के लिए आपको नारियल की आवश्यकता नहीं है) हाथ में नारियल, अक्षत, रोली, पानी और थोड़े पुष्प ले लें. इसके बाद मन में भगवान गणेश या बुध देवता या फिर दोनों देवता, जिनके लिए भी आप व्रत रख रहे हैं, उनका ध्यान करें और उनके समक्ष संकल्प लें. हे देवता हम आपके लिए 21 या 45 की संख्या में (दोनों में से कोई एक संख्या) बुधवार का व्रत करने वाले हैं. आप हमारे इस व्रत को स्वीकार करें. यह संकल्प लेने के बाद आप अपने व्रत की शुरुआत करें. भगवान के आगे दीपक जलाएं, उन्हें तिलक लगाएं व पुष्प चढ़ाएं. इसके बाद भगवान की स्तुति करें. ये माना जाता हैं कि व्रत शुरू करने से पहले गणेश जी के साथ नवग्रहों की पूजा करनी चाहिए। आप भागवत महापुराण का पाठ भी कर सकते हैं।
बुधवार व्रत में भगवान गणेश की पूजा कैसे करें
बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा या स्तुति के लिए आप अथर्वशीर्ष का पाठ कर सकते हैं, गणेश स्तुति का पाठ कर सकते हैं. गणेश जी के नाम का पाठ या फिर गणेश चालीसा का पाठ कर सकते हैं. या फिर बुधवार की कथा की किताब भी पढ़ सकते हैं. आप नीचे दी गई स्तुति का पाठ करके भी गणेश पूजन कर सकते हैं
बुध देवता की पूजा कैसे करें 
बुध गायत्री मंत्र का पाठ करने से बुध ग्रह की शांति होती है. (बुध गायत्री मन्त्र- ऊँ चन्द्रपुत्राय विदमहे रोहिणी प्रियाय धीमहि तन्नो बुध: प्रचोदयात ।) अतः इस मन्त्र को बुधवार व्रत के दौरान बुध गृह की शांति के लिए एक सौ आठ दाने की स्फटिक माला द्वारा जाप करना चाहिए . जिससे जातक को भगवान बुद्ध का आशीर्वाद प्राप्त हो सके  
बुधवार व्रत पूजा विधि 
बुधवार व्रत के दौरान सुबह उठकर घर की सफाई और स्नान आदि करके घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में मुंह करके भगवान गणेश और बुध देव की पूजा करें. घी का दीपक, अगरबत्ती या धूप जलाएं. इसके बाद ऊपर दी गई पूजन विधि के अनुसार श्री गणेश और बुध देव की पूजा करें. यदि पूजा के लिए भगवान बुद्ध की प्रतिमा न मिले तो भगवान शिव शंकर की प्रतिमा के निकट भी पूजा की जा सकती है. इस दिन हरे रंग की माला और हरे रंग का वस्त्र पहनना बेहद शुभ होता है। बुधवार को मस्तक पर सफेद चंदन, हरी इलायची सहित घिसकर लगाएं | पूरे दिन के उपवास के बाद शाम को एक बार फिर से पूजा करें और बुधवार व्रत कथा पढ़ें, फिर आरती करें.जब पूजा संपन्न हो जाए तब सूजी का हलवा या मूंग की दाल की पंजीरी का भोग लगाकर गरीबों में इसे बांट दें। गणेश के भक्त इस दिन बुध देवता को हरी इलायची और कर्पूर मिश्रित जल से अर्घ्य दें। ध्यान रहे व्रती भोजन का सेवन दिन में एक बार यानी सायंकाल के समय ही करें. भोजन का सेवन दान करने के बाद ही करें |
बुधवार के दिन इस मंत्र का करें जाप 
व्रती इस दिन ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाये नम; मंत्र का जाप करें। ज्योतिष के अनुसार इस दिन इस मंत्र का अगर 9000 बार जाप किया जाए तो बहुत तरह के शुभ फलों की प्राप्ति होती है। 9000 बार जाप संभव न हो तो आप 11, 51 या 108 बार भी इस मंत्र का जाप कर सकते हैं. जितनी इच्छा हो मंत्र जाप की संख्या उतनी रखें पर भावना प्रखर रखें और प्रसन्न मन के साथ पूजन करें |

बुधवार व्रत में क्या खाना चाहिए
बुधवार के दिन व्रती को एक समय दही, हरी मूंग दाल का हलवा या फिर हरी वस्तु से बनी चीजों का सेवन करना चाहिये। इस व्रत में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा आप व्रत के दौरान दूध, चाय व फल खा सकती हैं |

बुधवार व्रत कथा 
बुधवार के व्रत के दिन विधि के साथ व्रत और बुधवार कथा का पाठ आवश्यक करना चाहिए . इस कथा को बुधवार के दिन जरुर सुनना और सुनाना चाहिए |पौराणिक कथा के अनुसार समतापुर नगर में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था. वह बहुत धनवान था. मधुसूदन का विवाह बलरामपुर नगर की सुंदर और गुणवान कन्या संगीता के साथ हुआ. शादी के बाद वो अपनी पत्नी को लेने बुधवार के दिन पहुंच गया. इसपर कन्या के माता-पिता ने कहा कि आज बुधवार है और इस दिन किसी भी शुभ दिन के लिए यात्रा नहीं की जाती है. इसपर मधुसूदन ने कहा कि वो इन सब बातों पर विश्वास नहीं करता है और अपनी पत्नी को लेकर चला गया. दोनों कुछ दूर ही चले थे कि उनकी बैलगाड़ी का पहिया टूट गया. वहां से दोनों ने पैदल यात्रा शुरु की, इस बीच उसकी पत्नी को प्यास लगी तो वो उसे एक पेड़ की छांव में बैठा कर पानी लेने चला गया और जब वापस लौटा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी के पास उसकी शक्ल जैसा ही एक व्यक्ति बैठा हुआ है. संगीता भी उसी शक्ल के दो लोग देखकर हैरान हो गई. इसके बाद उन दोनों व्यक्तियों में युद्ध होने लगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठ बोल रहा है. इस शोर से आसपास कई लोग जमा हो गए और उन्होनें सिपाही को बुलाकर उन्हें नगर के राजा के सामने प्रवेश करवाया. राजा भी उन दोनों में अंतर नहीं कर पाया और संगीता भी नहीं पहचान पा रही थी कि उसका पति कौन है |

राजा ने दोनों को ही कारावास में डाल देने की सजा सुनाई. सजा सुनकर मधुसूदन घबरा गया और भगवान से प्रार्थना करने लगा कि उसे किन पापों की सजा मिल रही है. तभी आकाशवाणी होती है कि मधुसूदन तूने अपने सास-ससुर के कहने पर भी अपनी पत्नी को ले आया, ये उसी का नतीजा है. इसके बाद मधुसूदन माफी मांगता है कि बुधदेव मुझे माफ कर दीजिए, अब कभी किसी शुभ काम के लिए इस दिन यात्रा नहीं करुंगा और हर बुधवार को व्रत भी किया करुंगा. इस प्रार्थना के बाद बुध देव ने उसे माफ कर दिया. उनके ये कहते ही सामने खड़ा व्यक्ति गायब हो गया. राजा और सभी लोग इसे देखकर हैरान हो गए. इसके बाद राजा ने मधुसूदन और उसकी पत्नी को सम्मान के साथ विदा किया. कुछ दूरी पर ही उन्हें बैलगाड़ी मिल गई और दोनों अपने राज्य की तरफ चल दिए. इसके बाद मधुसूदन और उसकी पत्नी हर बुधवार को विधि के साथ व्रत करने लगे और इसके बाद दोनों सुख के साथ अपना जीवन यापन करने लगे.
 
बुधवार व्रत उद्यापन सामग्री
चावल/अक्षत, धूप, दीप, गंगाजल, फूल, लाल चंदन, गुड़, हरा वस्त्र, यज्ञोपवीत, रोली, गुलाल, मूंग दाल हलवा, जल पात्र, पंचामृत (कच्चा दूध, दही, घी, मधु तथा शक्कर मिलाकर बनाएं), 2 पान , 2 सुपारी, लौंग, इलायची, ऋतुफल, कपूर
हवन की सामग्री
हवन कुंड, आम की समिधा और 1 पैकेट हवन सामग्री
बुधवार व्रत उद्यापन विधि 
21 या 45 जितना आपने व्रत शुरु करने के समय संकल्प किया था उतना व्रत पूरा होने के बाद 22वें या 46वें बुधवार को उद्यापन करें। प्रात:काल स्नान कर हरा वस्त्र धारण करें। पूजा गृह को स्वच्छ कर शुद्ध कर लें। सभी पूजन सामग्री एकत्रित कर लें। लकड़ी के चौकी पर हरा वस्त्र बिछाएं । कांस्य का पात्र रखें । पात्र के ऊपर बुध देव की प्रतिमा को स्थापित करें । सामने आसन पर बैठकर पूजन करें। सर्वप्रथम हाथ में जल लेकर मंत्र के द्वारा अपने ऊपर जल छिड़कें |

ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥ 

 
इसके पश्चात् पूजा की सामग्री और आसन को भी मंत्र उच्चारण के साथ जल छिड़क कर शुद्ध कर लें:-
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
अब आचमन करें: पुष्प से एक –एक करके तीन बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए |

ॐ केशवाय नमः
ॐ नारायणाय नमः
ॐ वासुदेवाय नमः

 
फिर ॐ हृषिकेशाय नमः कहते हुए हाथों को खोलें और अंगूठे के मूल से होंठों को पोंछकर हाथों को धो लें। इसके बाद सबसे पहले गणेश जी का पूजन पंचोपचार विधि (धूप, दीप, पूष्प, गंध, एवं नैवेद्य) से करें। चौकी के पास हीं किसी पात्र में गणेश जी की मूर्ति  रखकर पूजन करें। अब हाथ में जल, अक्षत, पान का पत्ता, सुपारी और सिक्का लेकर भगवान का ध्यान करें. और सभी वस्तु बुधदेव के पास छोड़ दें. दोनों हाथ जोड़ बुध देव का ध्यान करें:-
 
बुधं त्वं बोधजनो बोधव: सर्वदानृणाम्।
तत्त्वावबोधंकुरु ते सोम पुत्र नमो नम:॥
अब मंत्र उच्चारण के द्वारा बुध देव को वस्त्र अर्पित करें |

ऊँ दुर्बुद्धिनाशाय नम: वस्त्रम् समर्पयामि
 
अब भगवान को अक्षत, पुष्प और जल अर्पित करें और दीप दिखाएं. अब भगवान को अपने श्रद्धानुसार दक्षिणा अर्पित करें.
इसके बाद हवन - कुण्ड में आम की समिधा सजाएं। हवन कुण्ड की पंचोपचार विधि से पूजा करें। हवन सामग्री में घी, तिल, जौ तथा चावल मिलाकर निम्न मंत्र के द्वारा १०८ आहुति दें |

ऊँ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रतिजागृहि त्वमिष्टापूर्ते सं सृजेथामयं च ।
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन्विश्वे देवा यजमानश्च सीदत ।।स्वाहा॥

एक थाली या आरती के पात्र में दीपक तथा कपूर प्रज्वलित कर बुध देव की आरती करें. अब २१ ब्राह्मणों को यथाशक्ति भोजन कराएं और दक्षिणा दें। तत्पश्चात् स्वयं भोजन करें।
बुधवार को क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए?
बुधवार के दिन किसी से उधार लेनदेन नहीं करना चाहिए. इस दिन उधार लेनदेन करने से संचित धन में कमी आती है.
महिलाओं को बुधवार के दिन हरे वस्त्र, हरे रंग की चूड़ियां पहनना चाहिए. इस दिन मेहंदी लगाना भी सुहाग के लिए शुभ होता है.
बुधवार के दिन भूलकर भी किसी किन्नर का अपमान न करें. इस दिन अगर रास्ते में कोई किन्नर दिख जाए तो उन्हें पैसे या श्रृंगार सामग्री दान करें.
बुधवार के दिन पान न खाएं. इस दिन पान खाने से धन की हानि होती है.
इस दिन को दूध जलाने का काम नहीं करना चाहिए जैसे खीर बनाना, दूध उबलना आदि.
इस दिन किसी भी कन्या का अपमान नहीं करना चाहिए |
बुधवार को क्या खरीदें?
बुधवार बुधवार को स्टेशनरी या फिर कला से जुड़ी वस्तुएं खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि यह दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश और विद्या की देवी माँ सरस्वती का होता है इसलिए ऐसी चीज़ों को इस दिन घर में लाना अच्छा होता है. वहीं दूसरी तरफ बुधवार को चावल, बर्तन, एक्वेरियम आदि चीज़ों की खरीदारी से बचें। नए कपड़े और जूते ना तो खरीदें और न ही पहनें. बुधवार के दिन टूथपेस्ट, ब्रश और कोई भी ऐसी चीज जो बाल से संबंधित है उसे नहीं खरीदना चाहिए |
बुधवार किसका दिन है?
शास्त्रों ने बुधवार का दिन श्री गणेश और बुध ग्रह के लिए निहित किया है। इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। मूंग दाल, घी व दही का दान करने से समाज में मान बढ़ता है और बुद्धि तेज होती है। बृहस्पतिवार: बृहस्पतिवार यानि गुरुवार, देवों के गुरू बृहस्पति और भगवान श्री हरि विष्णु को यह दिन समर्पित है।

बुधवार को गणेश जी के 108 मंत्र एवं आरती

As the top Jyotish in India, Celebrity Astrologer in 3rd Generation Acharya V Shastri ji (Best Astrologer in Delhi NCR) strongly recommends following these tips to bring the power of the moon in your favor again. Book your appointment or get assistance on call from the leading astrologer today for a more personalized analysis of your planets.

India's Famous Astrologers, Tarot Readers, Numerologists on a Single Platform. Call Us Now. Call Certified Astrologers instantly on Dial199 - India's #1 Talk to Astrologer Platform.  Expert Live Astrologers. 100% Genuine Results.