महंगे रत्न पहनने की जगह इस पौधे की जड़ पहन लीजिये हर परेशानी होगी दूर
महंगे रत्न नहीं, पेड़-पौधों की जड़े करेंगी चमत्कार
हम अक्सर लोगों के हाथ में विभिन्न रंग-बिरंगे पत्थर जड़ी अंगुठियां देखते हैं। दरअसल ये रत्न होते हैं जो वे अपने जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति के लिए और भाग्य चमकाने के लिए किसी ज्योतिषी की सलाह से पहनते हैं। नौ ग्रहों के नौ रत्न होते हैं जिन्हें मुख्य रत्न कहा जाता है। मुख्य रत्नों के अलावा इन सभी के उपरत्न होते हैं। जो व्यक्ति महंगे रत्न नहीं पहने सकते, वे उपरत्न पहनते हैं। लेकिन यदि आप कोई भी रत्न धारण नहीं करना चाहते तो कुछ पेड़-पौधों की जड़ भी होती हैं जिन्हें अपने पास रखने से रत्नों जैसा ही प्रभाव मिलता है।
ज्योतिष विज्ञान में महंगे रत्नों, उपरत्नों के विकल्प के रूप में पेड़-पौधों की जड़ें पहनी जाती हैं। इससे बुरे ग्रहों का प्रभाव नष्ट होता है और संबंधित ग्रह अनुकूल होता है।
आइये जानते हैं कौन-से पेड़-पौधे की जड़ किस ग्रह को प्रसन्न करने के काम आती है और उसका उपयोग कैसे करें।
सूर्य
बेलमूल की जड़ में सूर्य का वास माना गया है। मान-सम्मान, यश, कीर्ति, तरक्की की चाह रखने वालों को रविवार के दिन पिंक कपड़े में इसकी जड़ को बांधकर दाहिनी भुजा में बांधना चाहिए। सूर्य के बुरे प्रभाव नष्ट होकर शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है। अपच, चक्कर आना, हार्ट और रीढ़ से संबंधित रोगों में इससे आराम मिलता है। इसे उचित मुहूर्त में निमंत्रित कर, उचित विधि से धारण करने पर अवशय ही लाभ मिलता है।
मंत्र - ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
चंद्र
चंद्रमा से संबंधित बुरे प्रभाव कम करने के लिए खिरनी की जड़ का प्रयोग किया जाता है। सोमवार के दिन सफेद कपड़े में हाथ में बांधने पर इसके शुभ प्रभाव मिलना प्रारंभ हो जाते हैं। चंद्रमा के बुरे प्रभाव के फलस्वरूप व्यक्ति कफ और लिवर संबंधी बीमारियों से हमेशा घिरा रहता है। मानसिक रूप से विचलित रहता है। इसे उचित मुहूर्त में निमंत्रित कर, उचित विधि से धारण करने पर अवशय ही लाभ मिलता है।
मंत्र - ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः
मंगल
अनंतमूल की जड़ में मंगल ग्रह का वास होता है। यह जड़ मंगल के बुरे प्रभाव को कम करके, उससे संबंधित जो परेशानियां आ रही होती हैं उन्हें दूर करती है। इसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर सीधे हाथ में बांधा जाता है। इसे पहनने का सबसे अच्छा दिन मंगलवार है। इससे त्वचा, लिवर, पाइल्स और कब्ज की समस्या दूर होती है। इसे उचित मुहूर्त में निमंत्रित कर, उचित विधि से धारण करने पर अवशय ही लाभ मिलता है।
मंत्र - ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
बुध
विधारा मूल की जड़ का उपयोग बुध के बुरे प्रभाव कम करने के लिए किया जाता है। बुध के बुरे प्रभाव से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता प्रभावित होती है और उसकी निर्णय लेने की क्षमता कम होती है। विधारा मूल की जड़ को बुधवार के दिन हरे रंग के कपड़े में बांधकर सीधे हाथ में उपर की ओर बांधा जाता है। इस जड़ को बांधने वालों को दुर्गा की आराधना करना चाहिए। इसके प्रभाव से नर्वस डिस्ऑर्डर, ब्लड प्रेशर, अल्सर और एसिडिटी में आराम मिलता है। इसे उचित मुहूर्त में निमंत्रित कर, उचित विधि से धारण करने पर अवशय ही लाभ मिलता है।
मंत्र - ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
गुरु
यदि किसी के विवाह में बाधा आ रही हो। कार्य-व्यवसाय, नौकरी में मनचाही तरक्की नहीं मिल पा रही हो तो यह सब गुरु के दुष्प्रभाव के कारण होता है। यदि ऐसा है तो व्यक्ति को हल्दी की गांठ बांधना चाहिए। गुरुवार के दिन पीले कपड़े में हल्दी की गांठ बांधकर पास रखने से कार्यों में सफलता मिलने लगती है। इसके प्रभाव से लिवर, चिकन पॉक्स, एलर्जी और पेट संबंधी रोगों में आराम मिलता है। इसे उचित मुहूर्त में निमंत्रित कर, उचित विधि से धारण करने पर अवशय ही लाभ मिलता है।
मंत्र - ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः
शुक्र
शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम करने के लिए काले अरंडमूल की जड़ का उपयोग किया जाता है। विलासितापूर्ण जीवन की चाह रखने वालों को इसकी जड़ का उपयोग करना चाहिए। शुक्रवार के दिन सफेद कपड़े में इसकी जड़ को बांधकर दाहिनी भुजा पर बांधे। इसके प्रभाव से खांसी, अस्थमा, गले और फेफड़ों से संबंधित रोगों में आराम मिलता है। इसे उचित मुहूर्त में निमंत्रित कर, उचित विधि से धारण करने पर अवशय ही लाभ मिलता है।
शनि
यदि किसी के जीवन में लगातार दुर्घटनाएं, धन हानि और बीमारी बनी रहती है तो ऐसा व्यक्ति शनि के बुरे प्रभाव से गुजर रहा होता है। इस बुरे प्रभाव को कम करने के लिए काले धतूरे की जड़ बांधी जाती है। इसे पहनने से सकारात्मक उर्जा का प्रवाह बनता है और व्यक्ति के जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। इस की जड़ को शनिवार के दिन काले कपड़े में बांधकर दाहिनी भुजा में बांधना चाहिए। मस्तिष्क संबंधी रोगों में इस जड़ से बहुत फायदा मिलता है। इसे उचित मुहूर्त में निमंत्रित कर, उचित विधि से धारण करने पर अवशय ही लाभ मिलता है।
मंत्र - ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
राहु
राहु के नकारात्मक प्रभाव से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव, हिचकी, पागलपन, आंतों की समस्या, अल्सर, गैस्ट्रिक आदि समस्याएं हो सकती हैं। अशुभ राहु होने से व्यक्ति मांस, शराब तथा अन्य मादक पदार्थों का सेवन करने लगता है। ससुराल पक्ष से संबंध बिगड़ने लगते हैं। साथ ही याददाश्त कम होने लगती है, गुप्त शत्रुओं में वृद्धि होगी। व्यक्ति को गुस्से पर नियंत्रण नहीं रहता है, मानसिक तनाव भी बढ़ने लगता है। अज्ञात भय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।,साथ ही आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। अगर मंगल के साथ राहु ग्रह स्थित है तो दुर्घटना के योग भी बनते हैं। राहु की कृपा पाने के लिए बुधवार के दिन नीले कपड़े में चंदन के सफेद टुकड़े को धारण करें।
मंत्र - ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:
केतु
केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव के कारण गर्भपात, पथरी, गुप्त एवं असाध्य रोग, खांसी, सर्दी, वात और पित्त विकार आदि रोगों के होने की आशंका रहती है। केतु के अशुभ प्रभाव की वजह से जातक के व्यव्हार में अवगुण आने लगते हैं। वह गलत कार्यों की ओर उन्मुख होने लगता है। केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव के कारण जातक मुकदमेबाजी, झगड़े जैसी समस्याओं में फंस जाता है। केतु की अशुभता के कारण जातक के पिता के साथ मतभेद बढ़ जाते हैं, वैवाहिक जीवन में भी मतभेद आने लगते हैं। परिवार में अशांति बनी रहती है। केतु द्वारा व्यक्ति को हमेशा ही बुरे फल प्राप्त नहीं होते हैं। केतु ग्रह के द्वारा व्यक्ति को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। यह अध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक आदि का कारक होता है। यह पैर, कान, रीढ़ की हड्डी, घुटने, लिंग, किडनी, जोड़ों के दर्द आदि रोगों को उत्पन्न करता है। केतु की कृपा पाने के लिए गुरुवार के दिन नीले रंग के कपड़े में अश्वगंधा की जड़ धारण करें।
मंत्र - ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नम :
नोट - ग्रह विशेष की शुभता पाने के लिए रत्नों के समान इन पेड़-पौधों की जड़ों को विधि-विधान से पूजा और मंत्र जप करने के बाद ही शुभ दिन एवं शुभ समय पर धारण करें।