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शुक्रवार व्रत विधि और व्रतकथा , जानिए शुक्रवार व्रत की विधि और लाभ

शुक्रवार व्रत विधि और व्रतकथा , जानिए शुक्रवार व्रत की विधि और लाभ

शुक्रवार व्रत विधि और व्रतकथा, जानिए शुक्रवार व्रत की विधि और लाभ - Friday Fasting Method and benefits

जय संतोषी माता, तेरी सदा ही जय

संतोषी माता हमेसा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं

शुक्रवार व्रत इसलिये भी श्रेष्ठ माना गया है. क्योकि यह व्रत सप्ताह में एक नियत दिन पर रखा जा सकता है. शुक्रवार व्रत प्राय: जन्मकुण्डली में होने वाले ग्रह दोषों और अशुभ ग्रहों की दशाओं के प्रभाव को कम करने के लिये वार व्रत किया जाता है. व्रतों के करने की दूसरी वजह अलग- अलग वारों के देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिये वार व्रत किया जाता है. जैसे: मंगलवार को श्री हनुमान, शुक्रवार को देवी की कृपा से सुख-संमृ्द्धि की कामना से शुक्रवार व्रत किया जाता है

शुक्रवार का व्रत भगवान शुक्र के साथ साथ संतोषी माता तथा वैभव लक्ष्मी देवी का भी पूजन किया जाता है. तीनों व्रतों को करने की विधि अलग- अलग है

शुक्रवार व्रत विधि | Friday Fasting Method

शुक्रवार का व्रत धन, विवाह, संतान, भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिये किया जाता है. इस व्रत को किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार के दिन से आरम्भ किया जाता है.  

इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें, ओर घर कि सफाई करने के बाद पूरे घर में गंगा जल छिडक कर शुद्ध कर लें. इसके पश्चात स्नान आदि से निवृ्त होकर, घर के ईशान कोण दिशा में एक एकान्त स्थान पर माता संतोषी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें, पूर्ण पूजन सामग्री तथा किसी बड़े पात्र में शुद्ध जल भरकर रखें. जल भरे पात्र पर गुड़ और चने से भरकर दूसरा पात्र रखें, संतोषी माता की विधि-विधान से पूजा करें.

इसके पश्चात संतोषी माता की कथा सुनें. तत्पश्चात आरती कर सभी को गुड़-चने का प्रसाद बाँटें. अंत में बड़े पात्र में भरे जल को घर में जगह-जगह छिड़क दें तथा शेष जल को तुलसी के पौधे में डाल दें. इसी प्रकार 16 शुक्रवार का नियमित उपवास रखें. अंतिम शुक्रवार को व्रत का विसर्जन करें. विसर्जन के दिन उपरोक्त विधि से संतोषी माता की पूजा कर 8 बालकों को खीर-पुरी का भोजन कराएँ तथा दक्षिणा केले का प्रसाद देकर उन्हें विदा करें. अंत में स्वयं भोजन ग्रहण करेंbest astrologer in Dwarka delhi, astrologer in delhi ncr, top astrologer in Gurgaon, famous astrologer in Gurgaon,

संतोषी माता के व्रत के दिन क्या करें? | What Not to do during Santoshi Mata Vrat

इस दिन व्रत करने वाले स्त्री-पुरुष खट्टी चीज का ही स्पर्श करें और ही खाएँ।. गुड़ और चने का प्रसाद स्वयं भी अवश्य खाना चाहिए. भोजन में कोई खट्टी चीज, अचार और खट्टा फल नहीं खाना चाहिए. व्रत करने वाले के परिवार के लोग भी उस दिन कोई खट्टी चीज नहीं खाएँ.

शुक्रवार व्रतकथा | Santoshi Mata Vrat Katha

एक बुढ़िया थी. उसका एक ही पुत्र था. बुढ़िया पुत्र के विवाह के बाद बहू से घर के सारे काम करवाती, परंतु उसे ठीक से खाना नहीं देती थी. यह सब लड़का देखता पर माँ से कुछ भी नहीं कह पाता. बहू दिनभर काम मे